सीजन की बारिश :-




आपने आज तक सुनी होगी " मौसम की बारिश "   आज   " सीजन की बारिश " से रूबरू होते है, ये किस्सा और ये ख़्याल आज कल चल रहे शादियों के सीजन से मेरे ख्याल में आया है।। 

आप और में अभी इससे बखूबी रूबरू हो चुके है, की जिस तरह से शादियां हो रही और उस बीच बारिश अपना कहर बरपा रही है,

बारिश के बीच होती हुई ये शादियां जहां दूल्हा दुल्हन पक्ष से खूब सारी तैयारियों के बाद , लाखों खर्च करने के बाद ये जो शब्द मैने अपने खुद के आधार पर जो दिया है,


"सीजन की बारिश" ये सब तैयारियों और लाखों के खर्चे को धरा का धरा रख देती है,




और चलती तैयारियों के बीच पानी फेर देती है, खुशी खुशी जो तैयारियां चल रही थी उसमें पानी कहीं थोड़ा तो कहीं पूरा विघ्न डाल देता है,

और खुशी के पलों पर पानी फिर जाता है,

में हाल ही में एक शादी के समारोह में गया वहां दूल्हा दुल्हन पक्ष एक ही जगह जगह गार्डन में शादी की तैयारियां कर रहे थे शाम में शादी होनी थी जिसके लिए तैयारियां अपने अपने हिसाब से सभी कर रहे थे, जिस गार्डन में शादी होनी थी,

वह गार्डन के लिए तो काफी जगह थी पर ठहरने के लिए और तैयार होने के लिए जगह निमित्त मात्र थी, शाम का समय होते ही आसमान में घने बादल छाने लगे थे,

दूल्हा दुल्हन और घर वालों के चेहरे की मायूसी ये सब बयां कर रही थी कि,

किस तरह का माहौल होने वाला है अब थोड़े समय में मेहमानों का आगमन भी चालू हो गया , धीरे धीरे मेहमान के बदौलत खाली सा गार्डन अब चहल पहल के साथ भरा भरा दिखने लगा था और ऊपर बादलों की गरज भी अपना संदेशा बिजली की चमक के साथ बख़ूबी पहुंचा रही थी,

मैंने देखा कि शादी वाले घरों के लोगों के बीच एक नर्म सी आंखों से भगवान से प्रार्थना की जा रही थी , कि प्रभु आज लाज रख ले शादी सम्पन्न होने के बाद दो दिन लगातार गिर जाना,

में दूल्हे के पास खड़ा था तभी दूल्हे का एक रिश्तेदार आया और एक व्यंग्य की तरह 


उन्होंने दूल्हे से कहा : "कि कढ़ाई में खाना खाया था क्या??"




भारत में एक बात बड़ी प्रचलित है जब किसी वक्त कोई कढ़ाई में खाना खाता है,

तो उसे कहां जाता है, कि मत खा कढ़ाई में वरना तेरी शादी में बारिश होगी इसी बात का व्यंग्य दूल्हे के रिश्तेदार ने दिया और दोनों के चेहरे पर हंसी का एक छोटा सा रूप देखने को मिला, पर व्यंग्य से चिंता तो खत्म नहीं होती न,

और  समय के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ता रहा पानी की छोटी फुहारे भी अब अपना आगमन कर चुकी थी मेहमान भोजन कर रहे थे, उधर आशीर्वाद समारोह में दूल्हा दुल्हन स्टेज पर थे बार बार आंखे आसमां को तांक रही थी,

पर बारिश जिससे कुछ और ही मंजूर था, और देखते ही देखते बारिश की गति तेज हुई दूल्हा दुल्हन के साथ आए हुए मेहमान भी इधर उधर सिर छुपाने की जगह ढूंढ रहे थे, गार्डन की जगह ज्यादा और ठहरने की जगह कम होने के कारण वहां काफी अफरा तफ़री मची हुई थी , 20 मिनट के लिए हुई जोरदार बारिश अपना काम कर के चली गई गार्डन की सभी लाइटें बंद कर दी गई, किसी ने खाना खा लिया था तो किसी का खाना बाकी था, थोड़ी देर हुई बारिश में सब अस्त व्यस्त कर दिया था,



कार्यक्रम को रोक दिया अब दूल्हा दुल्हन एक कक्ष में बैठे थे और चेहरे की मायूसी उनके दर्द को आसानी से बयां कर रही थी, थोड़े समय में मेहमान छटने लगे और आखिरी तक कुछ एक ही रिश्तेदार वहां ठहरे थे,बाकी सभी निकल चुके थे क्योंकि अंदर की और जगह की कमी साफ दिखाई पर रही थी , पूरे कार्यक्रम की प्लानिंग गार्डन के लिए हुई थी अब अंदर फेरो और कुछ रस्मों के लिए सेटअप लगाया गया,

और जैसे तैसे बाकी विवाह की विधियां सम्पन्न हुई, फेरो के सम्पन्न होने पर वो तालियों की आवाज ने चेहरे पर फिर खुशी दे दी थी, एक थोड़े से बूरे स्थिति में ही सही पर विवाह सम्पन्न हुआ।।

और सीजन की बारिश में अच्छे खासे कार्यक्रम को 20 मिनट में चौपट कर दिया,

इसी किस्से को साझा करने के पीछे मेरा कहना है, कि गार्डन के साथ आप उस तरह का स्थान अपने कार्यक्रम के लिए चुने जहां इन परिस्थितियों से बचने का काफी हद तक इंतजाम हो।।


- Vaibhav's Blog

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