सोशल मीडिया से दीमाग का नुकसान या फायदा आइये जानते है।।

                     बौद्धिक क्षमता की ओर बढ़ते समय सोशल मीडिया के प्रति बढ़ता प्रेम ।।







शुरुवात:-


सर्वप्रथम जाने तो वह समय जब बौद्धिक क्षमता का विकास होता है यह समय जीवन का सबसे अमूल्य समय होता है जब बच्चों या फिर युवा को अपने जीवन के लिए मानसिक तौर पर परिपक्व होना होता है ।।


बालपन :-


बच्चों के बालपन की बात करें तो उनकी बोद्धिकता का किस दिशा की ओर बढ़ना या समझ की शक्ति से तात्पर्य है और युवा की बात करें तो उन्हें इसी समय अपने भविष्य की आजीविका के लिए मजबूत नींव अपने ही बौद्धिक क्षमता के आधार पर रखनी होती है ।।





चंचल मन का बहकना :- 

अगर बात करें तो चंचल मन का विचलित होना  बौद्धिक क्षमता के विकास के समय ही होता है जैसा वह अपने आसपास का वातावरण का अनुभव करता है फिर वह क्या देख रहा है, क्या सुन रहा है, और क्या कर रहा है यहां उसकी सारी समझ



 उसके द्वारा अनुभव किए गए परिस्थितियों से होती है और उसकी इसी विचलितता को बढ़ावा देने का कार्य आज बखूबी रूप से सोशल मीडिया अदा कर रहा है हम आज यह अच्छी तरह से जानते हैं कि बच्चों के विकास के समय ही उनके हाथों में मोबाइल फोन या उन्हें विचलित करने वाले वह उपकरण थमा दिए जाते हैं जिनसे उनकी मानसिकता पर गहरा असर पड़ता है, और कम उम्र में उन्हें सभी उपकरणों की आदत या लत लग चुकी होती है जिसे उन्हें बचाना होता है कम उम्र में सोशल मीडिया से जुड़ना और उस पर समय व्यतीत करना और उनके द्वारा देखे जाने वाली चीजें जिनमें वह घटिया नाच और अपशब्दता जो व्यवहारिक ज्ञान के लिहाज से कोई मायने  नहीं रखती और उसकी तरफ बढ़ता  प्रेम और आकर्षण 

वहीं चीजें देखने, दोहराने या करने की चाहत उन सभी में अपने दिमाग को वहीं

लगाना और उन्हीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समय गुजारना जिससे काफी नुकसान है ।।


सोशल मीडिया से नुकसान या फायदा :-

अगर बात करें सोशल मीडिया पर कुछ अच्छे प्लेटफार्म की तो वहां सीखने योग्य और कारगर प्लेटफार्म भी बहुत है,





 जहां से दुनिया भर का हर तरह का ज्ञान अर्जित किया जा सकता है परंतु उससे ज्यादा विचलित करने वाले चलचित्र वीडियोग्राफी आदि भारी मात्रा में है जिस अच्छाई के लिए सीखने सा कुछ भी नहीं है नई अच्छी और बुरी दोनों तरह के इन वीडियोग्राफी के लगातार बनने और उसी की तरह उसकी नकल करना जिसे आज ट्रेंड का नाम दिया जाता है जिसके पीछे लगभग आज का शख्स अच्छा खासा समय बर्बाद किये जा रहा है समय के साथ उपकरणों की जितनी ज़रूरतें बड़ी है उतना ही उनसे प्रेम और लगाव भी बड़ा है जो काफी हद तक हमारे लिए नुकसानदायी है,




और बढ़ती उम्र में जब बौद्धिक विकास की बात है तो बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बजाय बाहरी खेल में रुचि बड़े इसमें हमें अपना  पूरा प्रयास करना चाहिए और उनके साथ थोड़ा समय व्यतीत करना चाहिए जिससे वह सोशल मीडिया के उन प्लेटफॉर्म्स और उन उपकरणों से वह उस हद तक बच सके जहां तक उन्हें कम से कम बचे रहना चाहिए और शायद उनके विकास में हमारे यह नन्हे कदम काफी मददगार साबित होंगे हमारे बच्चों के भविष्य की बागडोर आज हमारे हाथों में नहीं, शायद सोशल मीडिया के हाथों में है जो एक डर का विषय है।।


बचाव:-


बाहरी खेल में रुचि बड़े ऐसे उपाय ढूंढे,

कभी आप भी उनके साथ खेले,

शतरंज और कैरम आदि कई प्रकार के खेल आप घर में भी खेले,

आपके बच्चों के इंटरेस्ट को जाने और उन्हें थोड़ा उस पर अमल करने की सीख दे,

बच्चों का ही नहीं हमारे देश का भविष्य भी आज सोशल मीडिया के हाथों में ही है, 

तो हमारी सावधानी हमारे और बच्चे के भविष्य दोनों के लिए हमारे छोटे प्रयास कारगर होंगे।।



इसे दो लाइनों में समझते है:-


" चाहत बड़ी उपकरणों से, बाहरी खेल से दूर हुए  
वक्त बिताया उपकरणों पर, बुद्धि से कमजोर हुए।। "



 -   Vaibhav's Blogs

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